अरूण पाल ने 24 वर्ष की आयु में कोरोना की वैक्सिन तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को परीक्षण के लिए अपना पूरा शरीर दान दे दिया था। इतने कठिन परीक्षणों को झेलने के बाद भी अरूण आज भी इनसानियत की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।सुनीता तिवारीदुनिया में करोड़ों लोग जन्म लेते हैं, जीवन जीते हैं फिर एक दिन इस दुनिया से हमेशा के लिए रुख्सत हो जाते हैं। कुछ ही दिनों बाद लोग उन्हें भूलने लगते हैं पर कुछ नाम ऐसे होते हैं जो इतिहास बन जाते हैं। यहां हम एक ऐसे व्यक्तित्व अरूण पाल के बारे में...
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