हम अलग हो सकते हैं, ग़लत नहीं

हम अलग हो सकते हैं, ग़लत नहीं

आपका समाज की नज़रों में अच्छा होना ज़रूरी नहीं, ख़ुद की नज़रों में सुंदर होना ज्यादा ज़रूरी हैहर्षित सिंहजब से मैंने होश सम्भाला है तब से मेरी यादें कुछ ऐसी रहीं हैं कि कभी किसी दोस्त, कभी घर आये रिश्तेदार, कभी कोई अजनबी मेरा मज़ाक़ उड़ा रहा होता है। मज़ाक़ के पात्रमेरी लड़कियों जैसी आवाज़ को ले कर, मेरी अलग सी पसंद को ले कर, स्पोर्ट्स में ना जा कर मेरा आर्ट्स में होना और ना जाने क्या क्या। कितनी ही बार जान बूझ कर दुकान वाले लड़कों की जगह लड़कियों के जूते कपड़े दिखाने लग जाते थे। कैसे सब मिलकर मेरे आत्मविश्वास...

This is a premium post, and you’ll need to purchase it to unlock full access. Please log in or register to view the purchase link.