ज़िंदगी एक कहानी की तरह है, जिस में हर मोड़ अपने साथ एक नए एहसास का हिस्सा लेकर आता है। पर ये कहानी तभी मुकम्मल होती है, जब हम अपनों को याद रखते हैं, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। शायद यही ज़िंदगी का सच है … उनका जाना एक अंत नहीं, एक नई शुरुआत है। नेहा दुसेजा … “बेटा, चाय पिएगी? थक गई होगी ना … तू रुक, मैं बना देता हूँ।“ अक्सर कॉल पर पापा यही पूछते थे जब मैं अपने मायके से घर आती थी। घर आकर गरम-गरम चाय और एक हफ्ते की सारी गप्पे बैठकर पापा...
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