मिलकर कर सकते हैं

मिलकर कर सकते हैं

Written By मुस्कान सिंह

जलवायु चिंता: एक वैश्विक समस्या

लोगों को जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को समझना होगा क्योंकि हम सभी इस पृथ्वी के निवासी हैं।

जिसे आप अंग्रेज़ी में ‘Climate Anxiety’ के नाम से जानते हैं, जलवायु चिंता एक ऐसी परेशानी बनती जा रही है जो बड़ी समस्याओं की नींव रख रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम जलवायु परिवर्तन से अवगत नहीं हैं, बल्कि यह एक वैश्विक समस्या है, जिसे सुलझाने के लिए देश मिलकर कदम उठा रहे हैं। उदाहरण के लिए, Montreal Protocol को ओजोन परत में बढ़ते छेद को रोकने के लिए लागू किया गया, जिसके अंतर्गत सभी देशों ने मिलकर CFC के उपयोग को कम किया और समस्या को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की। यह दर्शाता है कि सही समय पर सही कदम उठाने से किसी भी समस्या का समाधान संभव है।

जलवायु परिवर्तन: एक गंभीर संकट

जलवायु परिवर्तन स्वयं में एक बहुत बड़ी समस्या है, जैसे—धरती का बढ़ता तापमान, सुनामी, बाढ़, जंगल की आग, आदि। लोग अक्सर सोचते हैं कि यह सब अचानक कैसे हो रहा है, लेकिन वास्तव में यह पृथ्वी द्वारा हमें चेतावनी देने का संकेत है कि उसके साथ सही व्यवहार नहीं हो रहा। यदि इसका प्रभाव बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि इंसानों द्वारा कुछ न कुछ कमी रह गई है।

जलवायु चिंता और मानसिक स्वास्थ्य

बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों में चिंता, तनाव, अवसाद और असहायता की भावनाएँ उत्पन्न हो रही हैं, जो उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही हैं। भले ही यह नैदानिक विकार (clinical disorder) न हो, लेकिन यह सामान्य व्यक्ति की दिनचर्या को अवश्य बाधित कर सकता है।

समाधान की ओर कदम

मेरा मानना है कि लोग जलवायु परिवर्तन से अवगत हैं और कई NGOs एवं संस्थाएँ नदियों की सफाई, garbage drive जैसी पहल कर रही हैं। सरकार भी स्वच्छता अभियान के 10 वर्ष मना रही है और सही कदम उठा रही है। लेकिन जागरूकता को और भी बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए प्रोत्साहन योजनाओं का उपयोग किया जाना चाहिए, चाहे वह आर्थिक सहायता, जुर्माने, या पुरस्कारों के रूप में हो।

लोगों को समस्या की गंभीरता को समझना होगा क्योंकि हम सभी इस पृथ्वी के निवासी हैं। सिर्फ़ ‘पृथ्वी माँ’ कहने से ही नहीं, बल्कि अपने प्रयासों से इसकी रक्षा करने में योगदान देना होगा।

अंतिम संदेश

हरियाली की गोद सूनी, नदियाँ हुईं रे शुष्क,

आकाश में धुआँ छाया, हवा हुई है विषाक्त।

धरती माँ कर रही गुहार, सुन लो उसकी बात,

अब भी समय है जाग जाओ, छोड़ो स्वार्थ का साथ।